हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रमुख त्योहारों में राखी का खास महत्व है. भाई-बहनों का यह त्योहार हर साल हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार पूर्णिमा तिथि 25 अगस्त से ही शुरू हो जाएगी. लेकिन रक्षाबंधन का पर्व उदया तिथि में मनाया जाएगा. इसलिए, साल 2018 में यह पर्व 26 अगस्त को मनेगा. पिछली बार ग्रहण औ सूतक के कारण रक्षाबंधन मनाने का शुभ मुहूर्त तीन घंटे से भी कम था. लेकिन इस बार त्योहार मनाने के लिए भाई बहनों को 11 घंटे से ज्यादा वक्त मिलेगा.
राखी के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं और भाई बहनों को उपहार देते हैं और हमेशा उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं. रक्षाबंधन का त्योहार तो आप हर साल मनाते हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि इसे क्यों मनाया जाता है और इसका महत्व क्या है.
प्रकृति को सर्वप्रथम बांधी जाती है राखी:
हालांकि यह प्रचलित है, लेकिन अधिकांश को यह बात शायद पता ना हो कि भाई को रक्षासूत्र बांधने से पहले बहनें तुलसी और नीम के वृक्ष को राखी बांधती हैं. ऐसा करके दरअसल, बहनेंं संपूर्ण प्रकृति की रक्षा का वचन लेती हैं. राखी वास्तव में हर उस शख्स को बांधी जा सकती है, जो आपकी रक्षा का वादा करता है. चाहे वह पिता हो या भाई. दोस्त हो या ऑफिस में काम करने वाला कोई सहयोगी.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार:
रक्षाबंधन क्यों मनाई जाती है और इसकी शुरुआत किसने और कब की, इस पर कई कहानियां हैं. उसमें कुछ प्रचलित हम आपको यहां बता रहे हैं
भविष्यपुराण में ऐसा कहा गया है कि देवाताओं और दैत्यों के बीच एक बार युद्ध छिड़ गया. बलि नाम के असुर ने भगवान इंद्र को हरा दिया और अमरावती पर अपना अधिकार जमा लिया.
तब इंद्र की पत्नी सची मदद का आग्रह लेकर भगवान विष्णु के पास पहुंची. भगवान विष्णु ने सची को सूती धागे से एक हाथ में पहने जाने वाला वयल बना कर दिया. भगवान विष्णु ने सची से कहा कि इसे इंद्र की कलाई में बांध देना. सची ने ऐसा ही किया. उन्होंने इंद्र की कलाई में वयल बांध दिया और सुरक्षा व सफलता की कामना की. इसके बाद भगवान इंद्र ने बलि को हरा कर अमरावती पर अपना अधिकार कर लिया.
राजा बलि और मां लक्ष्मी की कहानी:
भगवत पुराण और विष्णु पुराण में ऐसा बताया गया है कि बलि नाम के राजा ने भगवान विष्णु से उनके महल में रहने का आग्रह किया. भगवान विष्णु इस आग्रह को मान गए और राजा बलि के साथ रहने लगे. मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु के साथ वैकुण्ठ जाने का निश्चय किया. उन्होंने राजा बलि को रक्षा धागा बांधकर भाई बना लिया. राजा ने लक्ष्मी जी से कहा कि आप मनचाहा उपहार मांगें. इस पर मां लक्ष्मी ने राजा बलि से कहा कि वह भगवान विष्णु को अपने वचन से मुक्त कर दें और भगवान विष्णु को माता के साथ जानें दें. इस पर बलि ने कहा कि मैंने आपको अपनी बहन के रूप में स्वीकार किया है इसलिए आपने जो भी इच्छा व्यक्त की है, उसे मैं जरूर पूरी करूंगा.
द्रौपदी ने कृष्ण को बांधी थी राखी:
ऐसी मान्यता है कि महाभारत में द्रौपदी ने भगवान कृष्ण के हाथों में रक्षा सूत्र बांधा था और बदले में कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा करने का वचन दिया था.